नई दिल्ली: जैसा कि हम सब जानते हैं कि कुछ दिनों बाद नया साल 2025 शुरू होने वाला है, और इसी कड़ी में केंद्र सरकार ने शिक्षा क्षेत्र में बड़ा बदलाव किया है। शिक्षा मंत्रालय ने हाल ही में एक अहम निर्णय लिया है, जिसके तहत कक्षा 5 और कक्षा 8 के छात्रों के लिए ‘अनुत्तीर्ण न करने की नीति’ को खत्म कर दिया गया है। इसका मतलब यह है कि अब कक्षा 5वीं और 8वीं की वार्षिक परीक्षा में फेल होने वाले छात्रों को पास नहीं किया जाएगा।
फेल हुए छात्रों को नहीं मिलेगा प्रमोशन
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय द्वारा जारी राजपत्र अधिसूचना के अनुसार, अब यदि कोई छात्र परीक्षा में फेल रहता है, तो उसे दो महीने के भीतर अतिरिक्त निर्देश और पुनः परीक्षा का अवसर दिया जाएगा। हालांकि, यदि छात्र पुनः परीक्षा में बैठने के बाद भी पदोन्नति (अगली कक्षा में जाने के मानदंडों) को पूरा करने में विफल रहता है, तो उसे पाँचवीं या आठवीं कक्षा में ही रोक दिया जाएगा।
किसे-किसे स्कूलों में लागू होगा यह फैसला?
यह नया निर्णय केवल केंद्र सरकार द्वारा संचालित स्कूलों में लागू होगा, जैसे कि केंद्रीय विद्यालय, नवोदय विद्यालय, सैनिक स्कूल, और अन्य 3,000 से अधिक सरकारी स्कूलों में। हालांकि, सरकार ने स्पष्ट किया है कि किसी भी छात्र को प्रारंभिक शिक्षा पूरी होने तक स्कूल से निष्कासित नहीं किया जाएगा।
शिक्षा मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि केंद्रीय विद्यालय और नवोदय विद्यालय जैसे स्कूलों में यह नीति लागू होगी, लेकिन चूंकि स्कूली शिक्षा राज्य का विषय है, तो राज्य सरकारें इस संदर्भ में अपना निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र हैं।
16 राज्य पहले ही लागू कर चुके हैं नीति का खत्म होना
बता दें कि अब तक 16 राज्यों और दिल्ली सहित दो केंद्र शासित प्रदेशों ने पहले ही कक्षा 5वीं और 8वीं के लिए ‘अनुत्तीर्ण न करने की नीति’ को खत्म कर दिया था। हालांकि, हरियाणा और पुडुचेरी ने अभी तक इस बारे में कोई निर्णय नहीं लिया है। वहीं, बाकी के राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने यह नीति जारी रखने का निर्णय लिया है।
नई नीति का उद्देश्य
इस बदलाव का उद्देश्य छात्रों को अधिक जिम्मेदार और कड़ी मेहनत करने वाला बनाना है, ताकि वे परीक्षाओं में अच्छा प्रदर्शन करें और शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार हो। मंत्रालय का मानना है कि यह कदम शिक्षा के क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देगा और छात्रों को उनकी कमजोरियों पर काम करने का अवसर देगा।
निष्कर्ष: यह निर्णय निश्चित रूप से शिक्षा के क्षेत्र में एक बड़ा बदलाव लेकर आया है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि यह नीति कैसे छात्रों की शैक्षिक स्थिति को प्रभावित करती है और शिक्षा व्यवस्था में किस प्रकार के सुधारों को जन्म देती है।